Sunday, September 20, 2009
लालू रामविलास की चुनावी जीत ........ सही या कुछ गलत ....
नीतिश कुमार को कांग्रेस से सिख लेनी चाहिए की कैसे उसने ठीक चुनाव से पहले किसान का ऋण माफ कर दिया । कर्मचारी को छठा वेतन का तोहफा दे दिया और भी बहुत सारे पिटारे खोल दिए। आख़िर एक सरकार बनने के लिए यदि एक लाख करोड़ का दाव लगाना कोई ग़लत सौदा नहीं। इसका परिणाम भी निकला और कांग्रेस की सरकार भी बन गई। नीतिश को भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए जिससे लालू से बिहार की जनता बची रहे। क्योंकि जनता को बरगलाने में लालू का कोई जवाब नहीं। आख़िर हैं तो वो वही भोली भली हरिशंकर परसाई की भेड़ भेड़िया वाली जनता जिसको नेता रूपी भेड़िया रोज खाता है नाश्ता के रूप में भोजन के रूप में । डिनर के रूप में ।
Sunday, September 14, 2008
हिन्दी की जन्मतिथि
लेकिन मैं तो जनता हूँ की हमारी हिन्दी अब दौर रही है । किसी के सहारे नहीं बल्कि अपने बदौलत । बाज़ार इसके पीछे भाग रहा है। 60 कड़ोर मध्यम वर्ग के बीच अपनी जगह बनने की लिए ग्लोबल कंपनी हिन्दी में लटक रही है की मेरे भी सुन लो। तो भाई भड़ासियों क्या आप सोचते हैं की अपनी हिन्दी की जन्मदिवस की तरह मनाने से ही इसका प्रसार होगा या उन नौकरशाहों के दिमाग में इस बात को ठोककर घुसाने से की वे क्यों नहीं सभी काम काज को हिन्दीं में करने की प्राथमिकता देते हैं । हिन्दी का सर्व प्रसार तभी होगा जब हम सभी यह प्राण लें की आज से सब कम काज हिन्दी में दूसरा कुछ भी नहीं।
हम जर्मनी फ्रांस जापान चीन आदि देशों से सीख सकते हैं की बिना इंग्लिश को गले लगाये कैसे विकसित बने हैं। तो हम कब होंगे कामयाब ।
चलो प्राण लेते हैं की ...................
रेल फॉर्म रिज़र्वेशन हिन्दी में भरना है ।
बैंक से निकासी या जमा फॉर्म हिन्दी में भरना है।
मेट्रो शहर में रहने वाले लोगों आपको हिन्दी में बात करनी है
और सारे वादे करने की जिम्मेदारी भड़ासियों पर ...........
Friday, August 15, 2008
Monday, July 21, 2008
मजदूर चुप रहो
टाइटल देख कर ही भडासी भाई समझ गए होंगे की मैं क्या कहना चाह रहा हूँ। बड़े ही जोड़ शोर से यूं पी ऐ सरकार और बामपंथी कामरेड ने नरेगा को लागु करवाया ताकि भारत के मजदूरों से जब वे वोट मांगने जायेंगें तो ख़म ठोककर कहेंगे की उसबारजिताया तो आपके लिए १०० दिनों के काम की गारंटी दिलाया इसबार जिताओगे तो समझो साल भर काम की पक्की। लेकिन १०० दिन का आधा भी मेरे खगरिया के भोले भाले मजदूरों को काम मिल जाता तो समझता की इसबार कांग्रेस के युवराज राहुल भी बिहार में कह सकते हैं की मेरी पार्टी को अकेले दम पर वोट मांगने की हिम्मत बिहार में आ गया है। जब मजदूरों के जॉब कार्ड रिकॉर्ड की पर्विस्ती कंप्यूटर पर करने बैठा हूँ तो पुरा का पुरा गोलमाल। जॉब कार्ड बन गया । कागज पर । मजदूर काम कर लिए मास्टर रोल पर। पैसा निकल गया मापी पुस्तिका पर। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री पैसा लेकर वैसे पदाधिकारी का ट्रांसफर रोक देते हैं जो पैसा कमाकर उन्हें हिस्सा देने काआश्वाशन देते हैं। जॉब कार्ड बन गया लेकिन पाने वाले का कोई अंगूठा का निशान नहीं। जॉब कार्ड बना दिया लेकिन बनाने वाले का कोई sine नहीं। तो देखो मेरे भड़ास भाइयों नरेगा की संक्षिप्त कहानी की पहली कड़ी। आगे बहुत कुछ है। ढूंढ कर लाऊंगा।
Saturday, June 28, 2008
मिडिया हकीकत
तो कुल मिलाकर मेट्रो से लेकर लोकल स्तर तक के पत्रकारिता की झलक ।
Sunday, April 27, 2008
दायित्त्व
Wednesday, April 23, 2008
अमेरिकी चुनाव
हिन्दी में लिखिए
bbchindi
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